भर गये झोले, झोलियां खाली ही रही
झोली की दिवाली इस बार भी खाली ही रही।
हंसता है मुस्कुराता झोला बढ़ता जाता है।
एक, चार,हज़ार बनता जाता है।
रोती सिसकती झोली सिकुुड़ती जाती है, लकीरें हाथों, माथे की गहरी होती जाती है।
झोले का संसार है, बंगला, व्यापार है।
झोली मुफलिस ए हालात है।
झोला हर दिन इक त्योहार मनाता है।
वजन झोली का दिन दूना गिरता जाता है।
यही दस्तूर ए जमाना है निभाना होगा,
हंस के मरे या रोके, त्योहार मनाना होगा।
झोली की दिवाली इस बार भी खाली ही रही।
हंसता है मुस्कुराता झोला बढ़ता जाता है।
एक, चार,हज़ार बनता जाता है।
रोती सिसकती झोली सिकुुड़ती जाती है, लकीरें हाथों, माथे की गहरी होती जाती है।
झोले का संसार है, बंगला, व्यापार है।
झोली मुफलिस ए हालात है।
झोला हर दिन इक त्योहार मनाता है।
वजन झोली का दिन दूना गिरता जाता है।
यही दस्तूर ए जमाना है निभाना होगा,
हंस के मरे या रोके, त्योहार मनाना होगा।
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