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Hot stuffगर्म रिश्ते


रोटी में तपिश, रिश्तों में कशिश दरकार है,

ठंडे की गरम, रात की सहर तक परवाज है।

हल्की सी तपिश रोटी को पका देती है,

मीठी सी कशिश रिश्तों को सजा देती है।

कशिश और तपिश इक दूजे बिन अधूरे हैं,

कशिश के सुनहले, तपिश के रंग भूरे हैं।

हल्की तपिश में सिकने का मजा है,

किसी कशिश में बंधना भी अदा है।

रोटी का सिकना, रिश्तों का  निखरना जरूरी है,

रोटी बिन तपिश, जोड़ी बिन कशिश अधूरी है।

तपिश रोटी को नरमाहट देती है,

कशिश रिश्तों में गरमाहट देती है।

रोटी दोनों ओर से पकनी चाहिए,

कशिश भी दोनों तरफ बराबर चाहिए।

एक ओर पकी रोटी सूख जाती है,

इकतरफ़ा मोहब्बत कहीं टूट जाती है।

तपिश रोटी में स्वाद देती है,

कशिश रिश्तों का एहसास देती है।

अधिक ताप हो तो रोटी जल जाती है,

ज्यादा हो कशिश तड़प कहीं मर जाती है।

आसां नहीं तपिश बरकरार रखना,

किसी के लिए ताउम्र बेकरार रहना।

अगर खाने में स्वाद चाहते हैं,

रिश्तों का साथ चाहते हैं।

तपिश जगा के रखिये, कशिश बना के रखिये।




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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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