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दुविधा illusionहे राम तनिक और ठहर जाते, कुछ तो यत्न करते जानकी को समझाते।

 

हे राम तनिक और ठहर जाते,

कुछ तो प्रयत्न करते जानकी को समझाते।

मानव की किसी निरीह पर आसक्ति कैसी,

प्रमाणित तथ्यों को कहने में आपत्ति कैसी।

जिसने सारा वैभव विलास क्षणभर मे छोड़ दिया,

एक मृग ने कैसे एक क्षण में उसका मन मोह लिया।

आप तो सभी पूर्व घटनाओं से भलीभांति परिचित थे,

मृग प्रेम में डूब ज्ञानी मुनि भरत जड़ हुए थे।

कदाचित इस वनगमन का कारण भी मृग ही बना था,

वहां शब्दभेदी बाण से श्रवण ने प्राण गवांए

यहां भी मायावी ही सही किसी मनुष्य को ही मरना था।

कभी विपरीत समय हो तो मति मारी जाती है,

कभी किंकर्तव्यविमूढ़ता भारी पढ़ जाती है।

अभी तो चौदह वर्ष यूं ही भटक कर बिताने थे,

सोना था जमीन पर कंदमूल फल खाने थे।

और क्या अधिकार किसी के प्राण लिए जाते

समस्या यही थी उन्हें कैसे सब समझाते।

पहला अवसर था जब उन्होंने कुछ आग्रह किया,

आग्रह क्या तुम्हें धर्म संकट में डाल दिया।

अनुमान ही कर सकता हूं यदि आपने ठुकरा दिया होता,

उन्होंने भी क्या पहाड़ सर पर उठा लिया होता।

नहीं तो कितना समय के प्रतिकूल था ये आग्रह,

यायावर हो जीवन तो कैसा संचय कैसा संग्रह।

ये आखेट नहीं राम तुम्हारी अग्नि परीक्षा थी,

एक बड़ी कीमत जिसकी तुम्हें आगे चुकानी थी।

आज भी ये परंपरा इसी तरह चल रही है,

हर घर कुछ न कुछ कमी अखर रही है।

अपनी स्थिति से कोई संतुष्ट नहीं,

मापदंड खुशियों के कहीं स्पष्ट नहीं।

हर दिन कोई नया एक नया विचार मारीच सा लुभाने लगता है,

फिर कोई राम-रहीम किंकर्तव्यविमूढ़ उसके पीछे भागने लगता है।

भला चंगा था वो जब तक कंवारा था,

मारा गया वही एक जो बेचारा था।




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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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