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Praise worthy तारीफों के पुल

तारीफ कितना बड़ा खजाना है,

हर शख्स इसी चीज का दिवाना है।

जिसको जरूरत मिलती नहीं,

है देनी जिसको निकलती नहीं।

सब परेशां हैं जमाने मे, कितनी गयी, 

कितनी मिली, क्या बाकी बची खजाने में,

तारीफों के पैर कछुए के,भेड़ चाल है।

कैसे कमाई जाये, खर्ची जाये बड़ी जंजाल है।

तारीफ उसकी करते हैं, जिस तक पहुंच नहीं सकते,

जिसको समझ नहीं सकते। कोई विज्ञानी ही बता सकता है,

अज्ञानी ही लुटा सकता है। तारीफों को कैसे पाओ,

तारीफों को कहां लुटाओ। साथ चलते हैं,बात करते हैं,

तारीफ नहीं करते। हंसी मिलती है, खुशी मिलती है,

तारीफ नहीं मिलती। तारीफ पानी है अगर गुमनाम हो जाइये।

इससे न बने काम तो बदनाम हो जाइये। सुनते हैं, रमते हैं तारीफ नहीं करते।

पक्ष विपक्ष की नहीं करता, एक सी बात नहीं करता।

जब कोई छोड़ चला जाता है, सबको ही बड़ा याद आता है।

तारीफों के पुल बंध जाते हैं, नये-नये कशीदे गढ़े जाते हैं। अब वो सुन नहीं सकता,

अपनी मर्ज़ी की चुन नहीं सकता। पक्ष विपक्ष साथ आ जाते हैं, चार जरूरत कांधे 

हजार लगाते हैं। मिट्टी को प्यार कर क्या करना, वो सुनेगा नहीं अब तारीफ

क्या करना। तारीफ़ रस्म ही ऐसी है, मरने के बाद निभाई जाती है,

कमाई तारीफें उम्र भर मर कर पाई जाती है।


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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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