रश्क होता है तेरी मासूम अदा पे जब तू चोट देता है,
जितनी तू मुझको देता है, उतनी ही अपनी दिल पे लेता है।
चोट कैसी भी हो दो तरफा असर करती है,
देने वाले पे कुछ कम खाने वाले ज्यादा असर करती है।
जब कोई किसी को बातोँ से चोट लगाता है,
कुछ साथ में अपने दिल पर भी खाता है।
हथौड़ी जब कोई कील दीवार पर ठोकती है,
अपनी मर्जी से थोड़े ही वो ऐसा करती है।
वो तो औजार है,एक हथियार है।
जिससे चोट लगाई जाती है,
दूसरे तक पहुंचाई जाती है।
करने वाला तो कोई और ही है,
बदनाम हथौड़े और कील हैं।
आरी जब किसी चीज को काटती है,
खुद भी धीरे-धीरे घिस जाती है।
हर चोट की कहानी ही अलग बनी है,
अलग चोट के लिए अलग हथौड़ी बनी है।
छोटी कील गाड़ने में बड़ी हथौड़ी न काम आएगी,
कील छिटक जाएगी, उंगलियां तोड़ जाएंगी।
बड़ी चोट के लिए बड़ी हथौड़ी काम आएगी,
भूख है ज्यादा दो कचौड़ी क्या भूख मिटाएंगी।
किसी खो रुलाना हो, सताना हो या तड़पाना हो।
उसकी दुखती रग पकड़ लीजिये,
जख्मों पर नमक छिड़क दीजिए।
वो कटता जाएगा,मिटता जाएगा
उनको भी कुछ आनंद मिल जाएगा।
हर चोट की एक आवाज होती है,
सभी चोट,आवाज कुछ कहती हैं।
आवाज बताती है, चोट कितनी गहरी है,
दिल पर लगी है या गाल पर उभरी है।
वक्त और रब की दी चोट में आवाज़ नहीं होती,
बस घिस देती है चप्पल सर पर बाल नहीं छोड़तीं।
कुछ मार आज बुरी लगती हैं,
समय आने पर बड़ा असर करती हैं।
जैसे शिक्षक के लगाए चांटे,
गुलशन मे उग आए हों कांटे।
कांटे ही गुलाब का साथ निभाते हैं,
चांटे ही चांटा लगाने के काबिल बनाते हैं।
गाल पर लगी चोट सब बयान कर जाती है
किसने की दुर्दशा चांटे की छाप बताती है।
पर दिल की चोट बड़ा असर दिखाती है,
दीवाना कर देती,शायर बना आती है।
अब और कितना खुलके बताऊं,
समझदार हैं आप मैं क्या समझांऊ।
आगे से कभी जब आप किसी से चोट खांए,
चोट जिस्म तक ही रखें, दिल तक न पहुंच पाए।
क्योंकि मरहम नहीं बना अब तक दिल तक पहुंच जाए।
बस आदमी ही रहे आप भी शायर न बन जाएं।
जितनी तू मुझको देता है, उतनी ही अपनी दिल पे लेता है।
चोट कैसी भी हो दो तरफा असर करती है,
देने वाले पे कुछ कम खाने वाले ज्यादा असर करती है।
जब कोई किसी को बातोँ से चोट लगाता है,
कुछ साथ में अपने दिल पर भी खाता है।
हथौड़ी जब कोई कील दीवार पर ठोकती है,
अपनी मर्जी से थोड़े ही वो ऐसा करती है।
वो तो औजार है,एक हथियार है।
जिससे चोट लगाई जाती है,
दूसरे तक पहुंचाई जाती है।
करने वाला तो कोई और ही है,
बदनाम हथौड़े और कील हैं।
आरी जब किसी चीज को काटती है,
खुद भी धीरे-धीरे घिस जाती है।
हर चोट की कहानी ही अलग बनी है,
अलग चोट के लिए अलग हथौड़ी बनी है।
छोटी कील गाड़ने में बड़ी हथौड़ी न काम आएगी,
कील छिटक जाएगी, उंगलियां तोड़ जाएंगी।
बड़ी चोट के लिए बड़ी हथौड़ी काम आएगी,
भूख है ज्यादा दो कचौड़ी क्या भूख मिटाएंगी।
किसी खो रुलाना हो, सताना हो या तड़पाना हो।
उसकी दुखती रग पकड़ लीजिये,
जख्मों पर नमक छिड़क दीजिए।
वो कटता जाएगा,मिटता जाएगा
उनको भी कुछ आनंद मिल जाएगा।
हर चोट की एक आवाज होती है,
सभी चोट,आवाज कुछ कहती हैं।
आवाज बताती है, चोट कितनी गहरी है,
दिल पर लगी है या गाल पर उभरी है।
वक्त और रब की दी चोट में आवाज़ नहीं होती,
बस घिस देती है चप्पल सर पर बाल नहीं छोड़तीं।
कुछ मार आज बुरी लगती हैं,
समय आने पर बड़ा असर करती हैं।
जैसे शिक्षक के लगाए चांटे,
गुलशन मे उग आए हों कांटे।
कांटे ही गुलाब का साथ निभाते हैं,
चांटे ही चांटा लगाने के काबिल बनाते हैं।
गाल पर लगी चोट सब बयान कर जाती है
किसने की दुर्दशा चांटे की छाप बताती है।
पर दिल की चोट बड़ा असर दिखाती है,
दीवाना कर देती,शायर बना आती है।
अब और कितना खुलके बताऊं,
समझदार हैं आप मैं क्या समझांऊ।
आगे से कभी जब आप किसी से चोट खांए,
चोट जिस्म तक ही रखें, दिल तक न पहुंच पाए।
क्योंकि मरहम नहीं बना अब तक दिल तक पहुंच जाए।
बस आदमी ही रहे आप भी शायर न बन जाएं।
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