Label

Berlin& china सिर का बोझ

हां मैं दीवार हूँ, मैं भी कुछ कहना चाहती हूँ,

खड़े-खड़े ही सही दिल की कहना चाहती हूँ।

 देखने में तो मामूली, काम बड़े करती हूँ,

 दिन रात खड़े होकर, यों ही तप करती हूँ। 

मैं कभी आराम नहीं करती,

 विश्राम नहीं करती।

तेरे लिए ही मैंने कितना बोझ उठाया है, 

चार दिवारों पर ही तूने इस छत को बनाया है।

कितना बुजदिल है तू कभी मेरी बात नहीं करता, 

तोड़ लेता है चाहे जहाँ, कोई रहम नहीं करता। 

नींव से लेकर छत तक, मकान से लेकर महल तक,

एक ही सा अत्याचार,

दबती गई बनती गयी, मैंने कब किया इनकार? 

जब कभी पूछा गया, आपने घर बना लिया!

 घर क्या बना लिया, बस छत डाल लिया। 

डरता है कितना मुझसे मेरे पांव बांध देता है, 

एक हो न जाय चारों कितनी दूरी बना देता है।

 दूर होकर भी हम चारों एक साथ होते हैं, 

दिल न जुड़ पाए साथ हाथ जोड़े रहते हैं।

 फिर भी तेरे काम आते हैं, तेरे डाले बोझ उठाते हैं।

 कहने को तो हम बेजान होते हैं, पर सुनाने वाले हमारे भी कान होते हैं। 

जैसे-जैसे तेरा नजरिया तंग होता गया, 

मेरी भी सेहत पे उसका असर होता गया। 

पहले मैं मोटी हुआ करती थी, 

सेहत मेरी भली चंगी हुआ करती थी। 

जितनी मैं बाहर थी, चार गुना अंदर थी, 

बाहर से दरिया अंदर से समंदर थी।

 अब कैसा जमाना आया, किसने रिवाज चलाया।

 आधी से भी कम मेरी ऊंचाई हो गयी, 

हालत मेरी देखो कितनी पतली हो गयी।

 दीवार हूँ या परदा समझ नही आता है, 

निभाना तुझे है मेरा क्या जाता है।

२४ इंच की ४ इंच कर दी गयी,

 काट कर बदन में ब्लॉक भर दी गयी।

 जगह-जगह छेद कर दिए, 

मेरी मौत के सामान भर दिए।

 पहले मेरा रंग रूप बिगाड़ दिया, 

छिपाने को जख्म कितना मरहम लगा दिया। 

कितना भी रो लूँ, तड़प लूं अकेले में, 

एक पते की बात गांढ  बाध लेना, 

दीवारों से सुंदर सा घर बनाना, 

दिलों के दरमियाँ कोई दीवार न बांधना।




SHARE

Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 Comments:

एक टिप्पणी भेजें

ताजातरीन

Symblolism प्रतीकात्मकता

 सारी दुनियाँ को उंगलियों पर नचा रहे हैं हम सब प्रतीकों में सिमटते जा रहे हैं। जितने भी जीवन में प्रश्न हैं व्यवधान हैं हर एक समस्या का च...