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Tears drop अश्क़

अश्क बनावटी हों तो बारिश की तरह आते हैं,

जसबाती हों अगर कहीं पलकों को भिगो जाते हैं।

गला रुंध जाता है, दिल भर आता है,

दिमाग की एक नहीं चलती, समझो आवाज़ नहीं निकलती।

कुछ अश्क़ दिखाए नहीं जाते, कोई-कोई छिपाए नहीं जाते।

किसी के अश्क दिखते नहीं, पलकों से जल्दी रिसते नहीं।

कैसे भर आते हैं, क्यों ऐसे झर जाते हैं,

पत्थर भी पिघल जाते हैं, आंसू में बदल जाते हैं।

कोई कसक उठती है ,कहीं कचक लगती है,

कमर चमक जाती, नसें अकड़,चढ़ जाती है।

कैसी टीस उठती है, कितनी खीज लगती है।

कोई रुला देता है, कहीं फंसा देता है,

कुछ यादें हो, कुछ बातें हो।

कभी जीत है, कहीं हार है।

किसी प्यार में, कोई व्यापार में।

अपना दगा देता है, समझो लुटा देता है।

हंसी भी आती है, संग नमी भी लाती है।

क्यों मन करता है, जमकर रो लो,

अश्कों में ही अपना तन-मन धो लो।

कैसा सुकूं जिस्मो जां पा लेता है,

जीत में भी अपनी दो अश्क़ बहा लेता है।

अश्क इंसानियत की पहचान ,

आंखों का गहना है,

कहने को हैं मोती, काम मगर बहना है।

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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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