हर किसी को हर खुशी नसीब नहीं माना,
तुम मिल जाओ तो मेरा हर गम मिट जाए।
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तुमसे ही मर्ज मेरा दवा भी तुम मेरी,
तुम्हें पी लूं मेरा हर मर्ज मिट जाए।
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कितनी भी थकन हो राह में कोई गम नहीं,
ठोकर कैसी भी हो मुझे तेरी बांह मिल जाए।
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हर्ज नहीं कितने मर्ज हो जिंदगी में मेरी,
सुरूर नशे सा बना रहे दर्द जाए न जाए।
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मेरी भी बातों में वो तासीर वजन पैदा कर मालिक,
लबों पे उनके कभी आह कभी वाह निकल जाए।
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